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ब्रह्मोस के बाद अब सुखोई की बारी, भारत और रूस मिलकर बनाएंगे महाविनाशक जेट, दुनिया में बजेगा डंका

ब्रह्मोस, सुखोई, Su-30MKI

भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में साझेदारी एक नए मुकाम पर पहुंचने जा रही है। दोनों देशों ने पहले ही ब्रह्मोस मिसाइल के निर्माण में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है, और अब वे एक और महत्वपूर्ण परियोजना पर काम करने की योजना बना रहे हैं। यह नई परियोजना है सुखोई Su-30MKI लड़ाकू विमान का संयुक्त उत्पादन और निर्यात। यह कदम न केवल दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि भारत के लिए रक्षा निर्यात के नए द्वार भी खोलेगा।

Su-30MKI भारतीय वायुसेना का सबसे शक्तिशाली विमान माना जाता है। यह रूसी डिजाइन पर आधारित है, लेकिन भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप कई संशोधनों के साथ विकसित किया गया है। भारत ने पहले ही रूस से 272 ऐसे विमानों की खरीद का अनुबंध किया था, जिनमें से अधिकांश का निर्माण भारत में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया गया है। यह तकनीकी हस्तांतरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां भारत ने न केवल विमानों को जोड़ने की क्षमता हासिल की, बल्कि उनके रखरखाव और उन्नयन में भी महारत हासिल की।

नई योजना के तहत, भारत और रूस मिलकर Su-30MKI विमानों का उत्पादन करेंगे और उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात करने की योजना बना रहे हैं। यह कदम कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। पहला, यह भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को बढ़ावा देगा। दूसरा, यह भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। तीसरा, यह रूस के साथ रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा, जो वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण है।

Su-30MKI की विशेषता यह है कि यह विमान ब्रह्मोस मिसाइल ले जाने में सक्षम है। भारतीय वायुसेना के पास मौजूद 40 ऐसे विमान हैं जो इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को हवा से लॉन्च कर सकते हैं। यह क्षमता भारत की रक्षा शक्ति को काफी बढ़ाती है और संभावित खरीदारों के लिए इस विमान को और भी आकर्षक बनाती है।

ब्रह्मोस, सुखोई, Su-30MKI

भारतीय वायुसेना के लिए Su-30MKI का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इन विमानों को 2050-60 तक सेवा में रहने की उम्मीद है। इसके लिए विमानों का लगातार उन्नयन किया जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण उन्नयन में से एक है तीन ब्रह्मोस मिसाइलों को ले जाने की क्षमता। Su-30MKI का विशाल आकार इसे इन शक्तिशाली मिसाइलों को ले जाने में सक्षम बनाता है, जो इसे एक अत्यंत घातक हथियार प्रणाली बनाता है।

Su-30MKI के संयुक्त उत्पादन और निर्यात की यह नई योजना भारत और रूस के बीच रक्षा साझेदारी का एक नया अध्याय है। यह न केवल दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करेगी, बल्कि भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्माता और निर्यातक के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगी। यह परियोजना भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगी और देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान देगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह साझेदारी कैसे विकसित होती है और वैश्विक रक्षा उद्योग पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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