Deonar Dumping Ground: मुंबई का दियोनार डंपिंग ग्राउंड, जो शहर के पूर्वी उपनगरों में स्थित है, लंबे समय से कचरे के विशाल पहाड़ों के लिए चर्चा में रहा है। लेकिन हाल ही में एक अध्ययन ने इस स्थान की गंभीर पर्यावरणीय स्थिति को उजागर किया है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) द्वारा कराए गए इस अध्ययन में पता चला है कि दियोनार डंपिंग ग्राउंड (Deonar Dumping Ground) पर विषाक्तता के स्तर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की अनुमति सीमा से चार गुना अधिक हैं। यह खबर न केवल पर्यावरण प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो धारावी पुनर्वास परियोजना (Dharavi Redevelopment Project) के तहत इस क्षेत्र में स्थानांतरित होने वाले हैं।
यह अध्ययन 2023 में BMC द्वारा शुरू किया गया था, ताकि दियोनार के कचरे का विश्लेषण किया जा सके और इसे भविष्य में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाया जा सके। अध्ययन में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD), रासायनिक ऑक्सीजन मांग (COD), और कुल घुलनशील ठोस (TDS) जैसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संकेतकों की जांच की गई। परिणाम चौंकाने वाले थे। अध्ययन के अनुसार, कचरे से निकलने वाले तरल पदार्थ, जिसे लीचेट कहा जाता है, में BOD का स्तर 390 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जबकि अनुमति सीमा केवल 100 मिलीग्राम प्रति लीटर (जमीन के लिए) और 30 मिलीग्राम प्रति लीटर (पानी के लिए) है। इसी तरह, COD का स्तर 1,002 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जबकि अनुमति सीमा 250 मिलीग्राम प्रति लीटर है। TDS का स्तर 6,550 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया, जो 2,100 मिलीग्राम प्रति लीटर की सीमा से कहीं अधिक है। ये आंकड़े बताते हैं कि दियोनार का पानी और मिट्टी मुंबई के अनुपचारित सीवेज से भी अधिक प्रदूषित है।
दियोनार में मौजूद कचरे का 30 से 50 प्रतिशत हिस्सा इनर्ट वेस्ट है, जिसमें निर्माण मलबा और गैर-जैविक सामग्री शामिल है। यह कचरा आसानी से विघटित नहीं होता, जिसके कारण इसका निपटान और प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। इस कचरे से निकलने वाला लीचेट मिट्टी और पानी को बुरी तरह प्रदूषित करता है, जिससे यह क्षेत्र मानव निवास के लिए अभी अनुपयुक्त है। IIT बॉम्बे के शोधकर्ता और पूर्व NEERI वैज्ञानिक डॉ. तुहिन बनर्जी ने बताया कि इतने उच्च स्तर के BOD, COD, और TDS से पता चलता है कि यह क्षेत्र पूरी तरह से प्रदूषित है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में न तो सूक्ष्मजीव, न पौधे, और न ही जानवर जीवित रह सकते हैं, क्योंकि पोषक तत्वों का अवशोषण पूरी खाद्य श्रृंखला को प्रभावित करता है।
BMC ने इस समस्या से निपटने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। पिछले महीने, उन्होंने दियोनार डंपिंग ग्राउंड (Deonar Dumping Ground) को साफ करने के लिए 2,368 करोड़ रुपये की निविदा जारी की। इस परियोजना का लक्ष्य तीन साल में जैव-उपचार (बायोरिमेडिएशन) के जरिए कचरे को साफ करना है। बायोरिमेडिएशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके कचरे को विघटित किया जाता है। यह प्रक्रिया हवा और धूप में पनपने वाले जीवों के जरिए काम करती है। हालांकि, डॉ. बनर्जी का कहना है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस प्रक्रिया में कम से कम पांच साल लग सकते हैं। उन्होंने यह भी सुझाया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए डंपिंग ग्राउंड के आसपास हरित पट्टी विकसित की जानी चाहिए, जिसमें विशेष पेड़ लगाए जाएं जो मिट्टी से प्रदूषकों को अवशोषित कर सकें।
BMC के ठोस कचरा प्रबंधन विभाग के उपायुक्त किरण दिघावकर ने बताया कि निविदा में यह स्पष्ट किया गया है कि कचरे और लीचेट के प्रबंधन की विधि ठेकेदार को तय करनी होगी। ठेकेदार के प्रस्ताव का विश्लेषण BMC करेगा, और जरूरत पड़ने पर किसी प्रतिष्ठित एजेंसी से इसकी समीक्षा कराई जाएगी। काम शुरू होने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक हो। ठेकेदार का चयन 23 जून तक हो जाएगा, और मानसून खत्म होने के बाद बायोरिमेडिएशन का काम शुरू होगा।
दियोनार में कचरे का प्रबंधन करना आसान नहीं है। एक वरिष्ठ नगरपालिका अधिकारी ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती कचरे के अवशेषों का निपटान है। बायोरिमेडिएशन के बाद बचे अवशेष आमतौर पर सीमेंट कारखानों में उपयोग होते हैं, लेकिन मुंबई के पास कोई सीमेंट कारखाना नहीं है। निकटतम कारखाना 500 किलोमीटर दूर है, जिसके कारण अवशेषों को ले जाना या उनका उपयोग करना एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा, कचरे का अधिकांश हिस्सा इनर्ट या गैर-पुनर्चक्रण योग्य है, जो इस प्रक्रिया को और जटिल बनाता है। फिर भी, BMC इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार है, क्योंकि बायोरिमेडिएशन भारत सरकार द्वारा प्रमाणित landfill reclamation की विधि है।
दियोनार डंपिंग ग्राउंड का एक हिस्सा धारावी पुनर्वास परियोजना (Dharavi Redevelopment Project) के लिए आवंटित किया गया है। अक्टूबर 2024 में, महाराष्ट्र सरकार ने 311 एकड़ के इस डंपिंग ग्राउंड में से 124 एकड़ जमीन धारावी के निवासियों को स्थानांतरित करने के लिए दी थी। यह परियोजना नवभारत मेगा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित की जा रही है, जो अडानी समूह और राज्य के स्लम पुनर्वास प्राधिकरण का संयुक्त उद्यम है। लेकिन इतने भारी प्रदूषण के बीच इस क्षेत्र को रहने योग्य बनाना आसान नहीं होगा।
दियोनार में हर घंटे 6,200 किलोग्राम मीथेन गैस उत्पन्न होती है, जिसके कारण यह देश के 22 सबसे बड़े मीथेन हॉटस्पॉट्स में से एक है। यह गैस पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में, जहां जगह की कमी एक बड़ी समस्या है, दियोनार जैसे डंपिंग ग्राउंड को साफ करना और इसे उपयोगी बनाना बेहद जरूरी है। यह प्रयास न केवल पर्यावरण को स्वच्छ बनाएगा, बल्कि शहर के भविष्य को भी सुरक्षित करेगा।