मुंबई

BEST Bus Shortage and Mumbai Transport Crisis: बेस्ट बसों की कमी से मुंबईकर परेशान, केवल 17% अपनी बसें, निजीकरण पर बढ़ती निर्भरता

BEST Bus Shortage and Mumbai Transport Crisis: बेस्ट बसों की कमी से मुंबईकर परेशान, केवल 17% अपनी बसें, निजीकरण पर बढ़ती निर्भरता

BEST Bus Shortage and Mumbai Transport Crisis: मुंबई की सड़कों पर लाल रंग की बेस्ट बसें (BEST Buses) शहर की जीवनरेखा मानी जाती हैं। ये बसें लाखों मुंबईकरों को रोज़ाना उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं, लेकिन हाल के दिनों में बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) की अपनी बसों की संख्या में भारी कमी आई है। जून 2025 तक बेस्ट के पास केवल 437 अपनी बसें बची हैं, जो कुल 2,594 बसों का मात्र 17 प्रतिशत है। बाकी 83 प्रतिशत बसें निजी ठेकेदारों से किराए पर ली गई हैं। इस बदलाव ने मुंबई के सार्वजनिक परिवहन की विश्वसनीयता और सुविधा पर सवाल खड़े किए हैं। इस लेख में हम बेस्ट की बसों की कमी (BEST Bus Shortage) और इसके पीछे की वजहों को समझेंगे।

कभी बेस्ट के पास 4,500 बसों का विशाल बेड़ा था, जो मुंबई की सड़कों पर निर्बाध सेवा देता था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। सितंबर 2023 में बेस्ट के पास 1,500 अपनी बसें थीं, जो अप्रैल 2024 तक घटकर 1,100 हो गईं। जून 2025 आते-आते यह संख्या और गिरकर 437 रह गई। इसका मुख्य कारण पुरानी बसों का 15 साल की परिचालन सीमा पूरी करना है। सरकारी नियमों के अनुसार, 15 साल से पुरानी बसों को हटाना अनिवार्य है। इस वजह से बेस्ट ने अपनी पुरानी बसों को चरणबद्ध तरीके से हटाया और उनकी जगह निजी ठेकेदारों से बसें किराए पर लीं। यह बदलाव मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर के लिए चिंता का विषय बन गया है, जहां हर दिन लाखों लोग सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर हैं।

मुंबई की सड़कों पर भीड़ और ट्रैफिक की चुनौतियों के बीच बेस्ट बसें (BEST Buses) लोगों के लिए एक किफायती और सुविधाजनक विकल्प रही हैं। लेकिन अपनी बसों की संख्या में कमी ने यात्रियों को परेशानी में डाल दिया है। मुलुंड की रहने वाली सवित्री जाधव बताती हैं कि पहले सुबह के व्यस्त समय में उन्हें 5-7 मिनट में बस मिल जाती थी, लेकिन अब 15-20 मिनट का इंतज़ार करना पड़ता है। यह इंतज़ार न केवल समय की बर्बादी करता है, बल्कि यात्रियों की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है। कई लोग अब शेयर ऑटो या टैक्सी जैसे विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं, जो उनके लिए महंगे साबित हो रहे हैं।

बेस्ट की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए हाल ही में किराए में बढ़ोतरी की गई। मई 2025 में न्यूनतम किराया गैर-वातानुकूलित बसों के लिए 5 रुपये से बढ़कर 10 रुपये और वातानुकूलित बसों के लिए 6 रुपये से बढ़कर 12 रुपये हो गया। दैनिक पास का किराया 60 रुपये से बढ़कर 75 रुपये और मासिक पास का किराया 900 रुपये से बढ़कर 1,800 रुपये हो गया। इस बढ़ोतरी का मकसद बेस्ट की आमदनी को बढ़ाना था, ताकि नई बसें खरीदी जा सकें और सेवा में सुधार हो सके। लेकिन इस किराए की बढ़ोतरी ने यात्रियों की संख्या को प्रभावित किया है। मई 2024 में बेस्ट ने 80.8 मिलियन यात्रियों को सेवा दी थी, जो औसतन 2.6 मिलियन यात्री प्रतिदिन था। मई 2025 में यह संख्या घटकर 59.5 मिलियन रह गई, यानी औसतन 2 मिलियन यात्री प्रतिदिन।

बेस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मई में यात्रियों की संख्या में कमी सामान्य है, क्योंकि इस महीने में स्कूल और कॉलेज की छुट्टियां होती हैं। लेकिन परिवहन विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि किराए में बढ़ोतरी (BEST Bus Shortage) ने निम्न-आय वर्ग के यात्रियों को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है, जो रोज़ाना काम और ज़रूरी यात्रा के लिए बेस्ट बसों पर निर्भर हैं। एक रिटायर्ड बेस्ट अधिकारी ने बताया कि किराए की बढ़ोतरी ने कई यात्रियों को मजबूरन शेयर ऑटो या टैक्सी जैसे महंगे विकल्प चुनने के लिए मजबूर कर दिया है। इससे न केवल यात्रियों का खर्च बढ़ा है, बल्कि शहर में ट्रैफिक और प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है।

निजी ठेकेदारों पर बढ़ती निर्भरता भी एक बड़ी चुनौती है। बेस्ट की 2,594 बसों में से 2,157 बसें निजी ठेकेदारों से किराए पर ली गई हैं। इन बसों का रखरखाव और संचालन निजी कंपनियां करती हैं, जिससे सेवा की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। यूनियन नेताओं का कहना है कि निजीकरण ने बेस्ट की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है। कई बार किराए पर ली गई बसें समय पर उपलब्ध नहीं होतीं, जिससे यात्रियों को लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। इसके अलावा, बेस्ट की अपनी बसों की संख्या बढ़ाने की योजना भी धीमी गति से चल रही है। मार्च 2026 तक बेस्ट 3,500 बसों और 2029 तक 6,000 बसों का लक्ष्य रखता है, ताकि प्रति एक लाख यात्रियों पर 60 बसों का वैश्विक मानक हासिल किया जा सके। लेकिन अभी की स्थिति में यह लक्ष्य दूर की कौड़ी लगता है।

मुंबई की मेट्रो और उपनगरीय रेलवे के बाद बेस्ट बसें शहर का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक परिवहन साधन हैं। हर दिन लगभग 31 लाख यात्री इन बसों का उपयोग करते हैं। लेकिन बेड़े की कमी और किराए की बढ़ोतरी ने इस सेवा को चुनौतियों के सामने ला खड़ा किया है। बेस्ट ने कुछ राहत देने की कोशिश की है, जैसे कि 5 से 12 साल के बच्चों के लिए आधा किराया और म्युनिसिपल स्कूल के छात्रों के लिए मुफ्त यात्रा। बुजुर्गों के लिए मासिक पास पर 50 रुपये की छूट भी दी जा रही है। फिर भी, यात्रियों की शिकायतें कम नहीं हो रही हैं। कई यात्रियों का कहना है कि बसों की संख्या और सेवा की गुणवत्ता में सुधार के बिना किराए की बढ़ोतरी उनके लिए बोझ बन रही है।

मुंबई जैसे शहर में, जहां समय की कीमत सबसे ज़्यादा है, बेस्ट बसों की कमी (BEST Bus Shortage) और निजीकरण पर बढ़ती निर्भरता ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या बेस्ट अपनी पुरानी शान को फिर से हासिल कर पाएगा? यह सवाल हर उस मुंबईकर के मन में है, जो रोज़ाना इन बसों पर यात्रा करता है।

#BESTBus, #MumbaiTransport, #BusShortage, #PublicTransport, #MumbaiNews

ये भी पढ़ें: Matunga Hawkers Encroachment: माटुंगा फूल बाजार में अतिक्रमण; BMC की बार-बार कार्रवाई, फिर भी फेरीवाले बेकाबू

You may also like