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Mumbai Monsoon Malaria Chikungunya Surge: मुंबई में मानसून की शुरुआत के साथ मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले बढ़े, BMC ने शुरू की सख्त कार्रवाही

Mumbai Monsoon Malaria Chikungunya Surge: मुंबई में मानसून की शुरुआत के साथ मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले बढ़े, BMC ने शुरू की सख्त कार्रवाही

Mumbai Monsoon Malaria Chikungunya Surge: मुंबई की सड़कों पर हर साल की तरह इस बार भी मानसून की पहली बूंदों के साथ बारिश का मज़ा तो आया, लेकिन इसके साथ ही बीमारियों का खतरा भी दस्तक दे गया है। जून 2025 में मानसून की शुरुआत होते ही मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और गैस्ट्रो जैसी बीमारियों ने शहर में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं।। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC, Brihanmumbai Municipal Corporation) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी से जून के बीच इन बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जिसने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। यह खबर हर उस मुंबईकर के लिए जरूरी है, जो बारिश के इस मौसम में खुद को और अपने परिवार को स्वस्थ रखना चाहता है। आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं और जानते हैं कि BMC इन बीमारियों से निपटने के लिए क्या कर रही है।

इस साल मानसून का आगमन जल्दी हुआ, और इसके साथ ही मलेरिया (Malaria) और चिकनगुनिया जैसी मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों में तेज़ी देखी गई। BMC के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से जून 2025 तक मलेरिया के मामले 1,612 से बढ़कर 1,973 हो गए। यानी, पिछले साल की तुलना में करीब 360 ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में आए। चिकनगुनिया (Chikungunya) के मामलों में तो और भी चौंकाने वाली वृद्धि हुई। 2024 में जहां सिर्फ 21 मामले थे, वहीं इस साल यह आंकड़ा 115 तक पहुंच गया। गैस्‍ट्रोएंटेराइटिस (Gastroenteritis, गैस्ट्रो) के मामले भी बढ़े, जो 3,478 से 3,577 हो गए।, और हेपेटाइटिस के मामले 248 से 359 तक पहुंच गए।। इन आंकड़ों ने साफ कर दिया कि मानसून की शुरुआत के साथ ही बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।

जून के पहले दो हफ्तों में ही 390 से ज्यादा गैस्ट्रो और 341 मलेरिया के मामले सामने आए। हालांकि, डेंगू के मामलों में इस महीने थोड़ी कमी आई है, लेकिन डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छरों के लिए अनुकूल हालात अब भी बने हुए हैं। ये मच्छर साफ और रुके हुए पानी में पनपते हैं, जो बारिश के बीच आसानी से जमा हो जाता है। BMC ने बताया कि बारिश का रुक-रुक कर आना मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थिति बनाता है। इसके अलावा, कोविड-19 के 366 नए मामले भी जून के पहले हफ्ते में सामने आए, जो पिछले साल की इसी अवधि में 93 थे। यह बढ़ोतरी भी चिंता का सबब है।

इन बीमारियों से निपटने के लिए BMC ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। शहर भर में निगरानी और रोकथाम के उपायों को तेज कर दिया गया है। अब तक 3.7 लाख से ज्यादा घरों और 17 लाख लोगों की बुखार के लिए जांच की जा चुकी है। इसके लिए 66,000 से ज्यादा खून के नमूने भी लिए गए हैं। लैप्टोस्पायरोसिस से बचाने के लिए 36,000 से ज्यादा लोगों को दवाइयां दी गई हैं। BMC की टीमें मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं। 25,000 से ज्यादा इमारतों और 3.8 लाख झोपड़ियों में फॉगिंग की गई है। इसके अलावा, 37,000 से ज्यादा जगहों से रुका हुआ पानी हटाया गया, जैसे पुराने टायर और बर्तनों में जमा पानी। चूहों से फैलने वाली बीमारियों को रोकने के लिए भी बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया है।

मुंबई जैसे शहर में, जहां हर कोने में लोग और इमारतें भरी पड़ी हैं, बीमारियों को रोकना आसान नहीं है। मानसून के दौरान रुका हुआ पानी और गंदगी मच्छरों और बैक्टीरिया के लिए पनाहगाह बन जाते हैं। गैस्‍ट्रोएंटेराइटिस जैसी बीमारी दूषित पानी और खाने से फैलती है, जो बारिश में आम हो जाती है। चिकनगुनिया और मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों से सुरक्षा जरूरी है। BMC ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों के आसपास पानी जमा न होने दें। पुराने बर्तन, टायर या गमले खाली रखें, ताकि मच्छर वहां अंडे न दे सकें। सड़क पर बिकने वाला खुला खाना खाने से बचें, क्योंकि यह गैस्‍ट्रो का कारण बन सकता है।

BMC की टीमें न केवल मच्छरों और चूहों से लड़ रही हैं, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए भी काम कर रही हैं। शहर भर में स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां लोगों को बीमारियों से बचने के तरीके बताए जा रहे हैं। मच्छरों से बचने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने की सलाह दी जा रही है। मच्छर भगाने वाली क्रीम और स्प्रे का इस्तेमाल भी जरूरी है। पीने का पानी हमेशा साफ और ढककर रखें, ताकि उसमें गंदगी न आए। ये छोटे-छोटे कदम हर घर में उठाए जाएं, तो बीमारियों का खतरा काफी कम हो सकता है।

यह बात सही है कि मुंबई का मानसून अपनी खूबसूरती के साथ चुनौतियां भी लाता है। मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां हर साल लोगों को परेशान करती हैं। लेकिन BMC के इन प्रयासों और लोगों की सावधानी से इस बार इनका असर कम किया जा सकता है। शहर के हर कोने में चल रहे ये अभियान और जागरूकता कार्यक्रम इस बात का सबूत हैं कि मुंबई बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार है। यह एक ऐसी जंग है, जिसमें हर मुंबईकर की भागीदारी जरूरी है।

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