Mumbai 1500 Mosque Loudspeakers Removed: मुंबई, एक ऐसा शहर जो अपनी विविधता और जीवंतता के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक विवादास्पद मुद्दे को लेकर सुर्खियों में है। यह मुद्दा है मस्जिदों में लाउडस्पीकर (लाउडस्पीकर/loudspeaker) के इस्तेमाल का, जिसने न केवल सामाजिक तनाव को बढ़ाया है, बल्कि कानून और व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाए हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद, मुंबई पुलिस ने पिछले तीन महीनों में 1,500 से अधिक अवैध लाउडस्पीकर हटाए हैं। इस कार्रवाई को लेकर जहां कुछ लोग इसे नियमों का पालन मानते हैं, वहीं कुछ इसे धार्मिक आधार पर निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं।
यह सब तब शुरू हुआ जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने 25 जनवरी, 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी धार्मिक स्थल ध्वनि प्रदूषण नियमों (नॉइज़ पॉल्यूशन/noise pollution) का उल्लंघन नहीं कर सकता। ध्वनि प्रदूषण (नॉइज़ पॉल्यूशन/noise pollution) नियंत्रण नियम, 2000 के अनुसार, आवासीय क्षेत्रों में दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल तक की ध्वनि की अनुमति है। लेकिन लाउडस्पीकर से निकलने वाली आवाज 75 से 200 डेसिबल तक हो सकती है, जो नियमों का उल्लंघन है। इस आदेश के बाद, मुंबई पुलिस ने मस्जिदों से अवैध लाउडस्पीकर (loudspeaker/लाउडस्पीकर) हटाने की कार्रवाई शुरू की। इस कार्रवाई का नेतृत्व करने का दावा पूर्व बीजेपी सांसद किरीट सोमैया ने किया, जिन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में 1,500 से अधिक लाउडस्पीकर हटाए गए हैं।
सोमैया ने इस अभियान को तब शुरू किया जब उन्होंने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए पुलिस से जानकारी मांगी। उनके अनुसार, भांडुप पुलिस ने अपनी क्षेत्र में 16 मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए, जबकि गोवंडी पुलिस ने दो मस्जिदों से ध्वनि उपकरण हटाए। इसके अलावा, वकोला पुलिस ने 15 मस्जिदों, घाटकोपर में 33, मानखुर्द शिवाजी नगर में 72, मुलुंड में 8 और भांडुप में 18 मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की बात कही। सोमैया का दावा है कि 99% मस्जिदों या उनके ट्रस्टों ने हाई कोर्ट के आदेश से पहले लाउडस्पीकर के लिए अनुमति नहीं ली थी। अब तक, 600 से अधिक मस्जिदों और ट्रस्टों ने अनुमति के लिए आवेदन किया है, और पुलिस ने कुछ मामलों में बॉक्स स्पीकर की अनुमति दी है।
लेकिन इस कार्रवाई ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया। मुस्लिम समुदाय के कुछ नेताओं ने इसे धार्मिक आधार पर भेदभाव बताया। समाजवादी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस विधायक यूसुफ अब्राहनी ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी करार दिया। उनका कहना है कि मस्जिदों में इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकर ध्वनि सीमा का उल्लंघन नहीं कर रहे थे। अब्राहनी ने यह भी आरोप लगाया कि किरीट सोमैया मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जाकर पुलिस पर दबाव बना रहे हैं, जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। उन्होंने तर्क दिया कि अगर होली, गणेशोत्सव या दीवाली जैसे त्योहारों में फुटपाथ पर कब्जा किया जाता है, तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। लेकिन मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है, भले ही वे नियमों का पालन कर रहे हों।
इस विवाद का एक उदाहरण मंगलवार रात को देखने को मिला, जब नागपाड़ा पुलिस ने मडनपुरा की सुन्नी बड़ी मस्जिद, जिसे हरी मस्जिद भी कहते हैं, में जाकर लाउडस्पीकर हटाने को कहा। इस दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद थे ताकि कोई कानून व्यवस्था की समस्या न हो। लेकिन मस्जिद ट्रस्टों का कहना है कि पुलिस की यह कार्रवाई मनमानी है। उनका तर्क है कि नियमों के अनुसार, पहले चेतावनी दी जानी चाहिए थी, फिर ध्वनि उपकरण जब्त किए जाने चाहिए थे। इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक रिट याचिका भी दायर की है, जिसमें पुलिस की कार्रवाई को चुनौती दी गई है।