सुनो भाई लोग, एक्सोटिक जानवर रखने वालों के लिए नया नियम आ गया है! पर्यावरण, वन और जलवायु वाले मंत्रालय ने नए कानून की पक्की पोटली बाँध दी है। अबसे ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम’ के तहत आने वाले कुछ अजीबो-गरीब जानवरों को रखना है, तो उनका रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा, वो भी सरकारी बही-खाते में! ‘साइट्स’ (CITES) नाम के एक टेढ़े-मेढ़े इंटरनेशनल ग्रुप की पहली कैटेगरी के जो भी जानवर हैं, ये रजिस्ट्रेशन वाली मुसीबत उन्हीं पर है!
पिछले साल ही इस पूरे ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम’ को थोड़ा चमका-पॉलिश करके नया किया गया था। तभी से ‘साइट्स’ का चक्कर चल रहा है! समझ लो, ‘साइट्स’ का मतलब है दुनिया भर के देशों का समझौता है – कुछ दुर्लभ जीव-जंतुओं को बचाने के लिए। गैर-कानूनी खरीद-फरोख्त, चोरी-चकारी सब रोकने की तरकीब है ये!
तो अबसे कोई भी हो – आदमी हो या संस्था – अगर ‘साइट्स’ की पहली श्रेणी में कोई इगुआना-बिगुआना, रंग-बिरंगा तोता वगैरह पाल रखा है, तो उसका नाम ‘पर्यावरण 2.0’ पोर्टल पर लिखाना पड़ेगा। फिर 30 दिन के अंदर वन विभाग को भी जवाब देना होगा! सिर्फ़ इतना नहीं, जानवर किसी और के पास गया, बच्चा पैदा हुआ, या बेचारा मर ही गया – तो इन सबकी खबर भी उसी पोर्टल पर देनी होगी। समझो, एक्सोटिक जीवों की सुरक्षा और गैर-कानूनी व्यापार पर लगाम लगाने का सरकारी इंतज़ाम!
रजिस्ट्रेशन करने के लिए 6 महीने की मोहलत है!