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Court Approves Sale of Seized Torres Jewellery: टॉरेस घोटाले में निवेशकों को राहत, मुंबई कोर्ट ने दी जब्त गहनों की बिक्री की मंजूरी

Court Approves Sale of Seized Torres Jewellery: टॉरेस घोटाले में निवेशकों को राहत, मुंबई कोर्ट ने दी जब्त गहनों की बिक्री की मंजूरी

Court Approves Sale of Seized Torres Jewellery: मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, हमेशा से अपनी चमक-दमक और व्यस्तता के लिए जानी जाती है। लेकिन हाल ही में इस शहर का नाम एक बड़े वित्तीय घोटाले के कारण सुर्खियों में रहा। टॉरेस ज्वैलरी (Torres Jewellery) घोटाला, जिसने हजारों निवेशकों को ठगा, अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने इस घोटाले में जब्त की गई ज्वैलरी, जिसमें सोना, चांदी और मोइस्सानाइट पत्थर (moissanite stones) शामिल हैं, को बेचने की अनुमति दे दी है। यह कदम उन निवेशकों के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आया है, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई इस धोखाधड़ी में खो दी थी।

यह कहानी तब शुरू हुई, जब टॉरेस ज्वैलरी, जो प्लैटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड के तहत काम करती थी, ने मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में अपनी छह शानदार शोरूम्स खोलीं। इन शोरूम्स में निवेशकों को सोने, चांदी और मोइस्सानाइट पत्थरों में निवेश करने के लिए लुभाया गया। कंपनी ने हर हफ्ते 6 से 20 प्रतिशत तक रिटर्न का वादा किया, जो 52 हफ्तों तक चलना था। यह वादा इतना आकर्षक था कि करीब 14,000 निवेशकों ने अपनी बचत इस योजना में झोंक दी। लेकिन दिसंबर 2024 में, जब कंपनी ने अचानक अपने शोरूम बंद कर दिए और रिटर्न देना बंद कर दिया, तो निवेशकों को धोखे का एहसास हुआ। इस घोटाले का आंकड़ा 142 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसने कई लोगों की जिंदगी को हिला कर रख दिया।

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing) ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि यह एक सुनियोजित पोंजी स्कीम (Ponzi scheme) थी, जिसमें नए निवेशकों के पैसे से पुराने निवेशकों को रिटर्न दिए जा रहे थे। कंपनी ने निवेशकों को लुभाने के लिए कई हथकंडे अपनाए। उदाहरण के लिए, वे साप्ताहिक लकी ड्रॉ ऑफर करते थे, जिसमें कार, आईफोन और यहां तक कि फ्लैट जैसे बड़े इनाम देने का दावा किया गया। लेकिन बाद में यह सामने आया कि ज्यादातर मोइस्सानाइट पत्थर, जिन्हें निवेशकों को बेचा गया, नकली थे और उनकी कीमत कंपनी द्वारा बताई गई कीमत से कहीं कम थी।

अदालत का हालिया फैसला इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेष अदालत ने पुलिस को जब्त की गई ज्वैलरी और अन्य संपत्तियों, जिनकी कुल कीमत 35 करोड़ रुपये से अधिक है, को बेचने की अनुमति दी है। इनमें सोना, चांदी, मोइस्सानाइट पत्थर, फर्नीचर और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इन कीमती सामानों की बिक्री से पहले एक मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार की जाए, ताकि उनकी सही कीमत का पता चल सके। इस बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि को एक विशेष बैंक खाते में जमा किया जाएगा, जिसे पुलिस ने निवेशकों के नुकसान की भरपाई के लिए खोला है। इस प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, अदालत ने बिक्री की पूरी प्रक्रिया को वीडियो रिकॉर्ड करने का आदेश दिया है, और इसकी निगरानी आर्थिक अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त करेंगे।

यह घोटाला केवल एक वित्तीय धोखाधड़ी तक सीमित नहीं था। जांच में यह भी सामने आया कि टॉरेस ज्वैलरी के पीछे कुछ यूक्रेनी नागरिकों का हाथ था, जो अब फरार हैं। पुलिस ने इनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है। मार्च 2025 में, आर्थिक अपराध शाखा ने आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कंपनी के कुछ कर्मचारियों को भी शामिल किया गया। इसके अलावा, इस मामले में गैर-कानूनी जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून (BUDS Act) की धाराएं भी लागू की गई हैं, जो पुलिस को निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए संपत्तियों की पहचान और नीलामी करने का अधिकार देता है।

निवेशकों की कहानियां इस घोटाले के दुखद पहलू को उजागर करती हैं। कई लोग, जिनमें छोटे-मोटे व्यवसायी और आम नागरिक शामिल थे, ने अपनी जीवन भर की बचत इस योजना में लगा दी। कुछ ने तो अपने गहने गिरवी रखे और कर्ज लिया, यह सोचकर कि वे जल्दी अमीर बन जाएंगे। उदाहरण के लिए, एक सब्जी विक्रेता, प्रदीपकुमार वैश्य, ने इस योजना में सात लाख रुपये निवेश किए और अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर 4.55 करोड़ रुपये गंवाए। जब उन्हें अपने रिटर्न नहीं मिले और शोरूम बंद पाए गए, तो उनका भरोसा टूट गया। ऐसे कई निवेशक अब अपने मूलधन को वापस पाने की उम्मीद में पुलिस और अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं।

अदालत का यह फैसला निवेशकों के लिए एक छोटी सी राहत लेकर आया है। जब्त की गई संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त राशि को उनके नुकसान की भरपाई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, यह प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है, और निवेशकों को उनके पैसे वापस मिलने में समय लग सकता है। पुलिस ने इस मामले में और भी गहन जांच शुरू की है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कंपनी ने निवेशकों के पैसे का इस्तेमाल कहां किया और क्या इसे विदेश भेजा गया। इस बीच, निवेशकों की नजर इस बात पर टिकी है कि उनकी मेहनत की कमाई का कुछ हिस्सा भी वापस मिल पाएगा या नहीं।

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