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MHADA Lottery: मुंबई में एमएचएडीए की नई राहत, पुरानी इमारतों के किरायेदारों को मिलेगा पक्का घर

MHADA Lottery: मुंबई में एमएचएडीए की नई राहत, पुरानी इमारतों के किरायेदारों को मिलेगा पक्का घर

MHADA Lottery: मुंबई, जहां हर गली-नुक्कड़ पर सपनों की बातें होती हैं, वहां एक घर का मालिक बनना किसी बड़े सपने से कम नहीं। पुरानी और जर्जर इमारतों में रहने वाले किरायेदारों के लिए यह सपना और भी मुश्किल लगता है। लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) ने एक ऐसी घोषणा की है, जिसने इन किरायेदारों के चेहरों पर उम्मीद की मुस्कान ला दी है। एमएचएडीए ने पुरानी सैस्ड इमारतों के किरायेदारों के लिए अतिरिक्त क्षेत्र के लिए रेडी रेकनर रेट (Ready Reckoner Rate) को 110% से घटाकर 100% कर दिया है। यह राहत उन लोगों के लिए भी लागू होगी, जो दिसंबर 2023 की लॉटरी में पात्र घोषित किए गए थे।

मुंबई की पुरानी सैस्ड इमारतें, जो अक्सर खतरनाक और जर्जर हालत में होती हैं, वहां रहने वाले किरायेदारों के लिए स्थायी घर की तलाश एक लंबी जंग की तरह है। इन इमारतों के कई किरायेदार दशकों से ट्रांजिट कैंपों में रह रहे हैं, अपने पक्के घर का इंतजार करते हुए। एमएचएडीए के उपाध्यक्ष और सीईओ संजीव जायसवाल ने हाल ही में एक कार्यक्रम में इस समस्या को गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा कि स्थायित्व, सुरक्षा और सम्मान एक घर से कहीं ज्यादा मायने रखते हैं। इस सोच के साथ, एमएचएडीए ने एक नई नीति की दिशा में कदम बढ़ाया है, जिसके तहत पुरानी इमारतों के भूतल पर रहने वाले किरायेदारों को भी अब मास्टर लिस्ट में शामिल किया जाएगा। पहले इन किरायेदारों को पात्र नहीं माना जाता था, लेकिन अब उन्हें भी उचित मुआवजा और स्थायी घर मिलने की उम्मीद है।

इस बदलाव की शुरुआत एक खास आयोजन से हुई, जो एमएचएडीए मुख्यालय में आयोजित किया गया। इस आयोजन में मुंबई बिल्डिंग रिपेयर्स एंड रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड (MBRRB) ने एक कम्प्यूटरीकृत लॉटरी के जरिए 105 पात्र किरायेदारों को स्थायी घर आवंटित किए। यह लॉटरी पूरी तरह पारदर्शी थी और इसमें किसी भी तरह की मानवीय हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं थी। जायसवाल ने इस मौके पर यह भी घोषणा की कि अतिरिक्त क्षेत्र के लिए अब किरायेदारों को रेडी रेकनर रेट (Ready Reckoner Rate) का 100% ही देना होगा। यह राहत उन लोगों के लिए भी लागू होगी, जो दिसंबर 2023 की लॉटरी में चुने गए थे। इस कदम से किरायेदारों पर आर्थिक बोझ कम होगा और उनके लिए अपने सपनों का घर हासिल करना आसान हो जाएगा।

एमएचएडीए की यह पहल सिर्फ आर्थिक राहत तक सीमित नहीं है। जायसवाल ने यह भी निर्देश दिया कि जिन खतरनाक सैस्ड इमारतों का पुनर्विकास रुका हुआ है, वहां के किरायेदारों को मास्टर लिस्ट में शामिल करने का विकल्प दिया जाए। यह खासकर उन इमारतों के लिए है, जिन्हें एमएचएडीए ने सेक्शन 91(ए) के तहत अधिग्रहित किया है। इसके अलावा, जिन इमारतों का पुनर्निर्माण संभव नहीं है, वहां के किरायेदारों को प्राथमिकता के आधार पर मास्टर लिस्ट में शामिल किया जाएगा। यह कदम उन लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, जो सालों से अनिश्चितता के साये में जी रहे हैं।

इस पूरी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए एमएचएडीए ने ट्रांजिट कैंपों में रहने वाले लोगों का बायोमेट्रिक सर्वे शुरू किया है। इस सर्वे के जरिए किरायेदारों को ए, बी और सी श्रेणियों में बांटा जाएगा, जैसा कि 13 सितंबर 2019 के सरकारी संकल्प में उल्लेख किया गया है। श्रेणी ए में उन किरायेदारों को रखा जाएगा, जिनकी मूल इमारत का पुनर्निर्माण संभव नहीं है। इन किरायेदारों को मास्टर लिस्ट में प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि उन्हें जल्द से जल्द स्थायी घर मिल सके। यह सर्वे न केवल प्रक्रिया को व्यवस्थित करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि कोई भी पात्र व्यक्ति अपने हक से वंचित न रहे।

इस पहल के पीछे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री व आवास मंत्री एकनाथ शिंदे के निर्देशों का भी बड़ा योगदान है। उनके नेतृत्व में एक 100-दिवसीय कार्ययोजना बनाई गई है, जिसका मकसद नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाना है। इस कार्ययोजना के तहत हाल ही में 100 किरायेदारों की पात्रता तय की गई है, और अब उनकी मदद से स्थायी घर आवंटित किए जा रहे हैं। एमएचएडीए ने यह भी वादा किया है कि अगले छह महीनों में एक नई लॉटरी आयोजित की जाएगी, जिसमें 100 और किरायेदारों को स्थायी घर दिए जाएंगे। यह कदम न केवल किरायेदारों के लिए राहत भरा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि एमएचएडीए पारदर्शी और जन-केंद्रित तरीके से काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

दिसंबर 2023 की लॉटरी, जिसमें 265 घर आवंटित किए गए थे, ने इस पारदर्शी व्यवस्था की नींव रखी। एमबीआरआरबी के मुख्य अधिकारी मिलिंद शंभरकर के मुताबिक, इस प्रक्रिया ने शिकायतों को कम किया और लोगों का भरोसा बढ़ाया। दशकों से ट्रांजिट कैंपों में रह रहे किरायेदार अब अपने हक के घर पा रहे हैं। यह दूसरी ऐसी लॉटरी थी, जिसने इस ढांचे के तहत घर आवंटित किए। इस तरह की पहलें न केवल किरायेदारों को स्थायित्व देती हैं, बल्कि उन्हें एक बेहतर और सम्मानजनक जीवन जीने का मौका भी देती हैं।

मुंबई जैसे शहर में, जहां हर वर्ग के लोग अपने लिए एक सुरक्षित छत की तलाश में हैं, एमएचएडीए की यह पहल एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। पुरानी सैस्ड इमारतों के किरायेदारों के लिए यह न केवल एक आर्थिक राहत है, बल्कि यह उनके वर्षों के इंतजार और संघर्ष को भी सम्मान देता है। एमएचएडीए लॉटरी (MHADA Lottery) और रेडी रेकनर रेट (Ready Reckoner Rate) जैसे कदम इस दिशा में एक बड़ा बदलाव ला रहे हैं।

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