Operation Nanhe Farishte: रेलवे प्लेटफॉर्म पर भटकते और खोए हुए बच्चों के लिए ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते एक वरदान बनकर आया है। अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच, सेंट्रल रेलवे के सुरक्षा बल (RPF) ने रेलवे पुलिस और समर्पित स्टाफ के साथ मिलकर 1064 बच्चों को बचाया है।
बच्चों कि यह मुश्किल अलग-अलग वजहों से हो सकती है। परिवार से झगड़े, घर छोड़ने की चाह, या बड़े शहरों का आकर्षण – कोई भी वजह हो, ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत इन बच्चों को न सिर्फ सुरक्षित रखा जाता है, बल्कि वापस उनके परिवारों से मिलाने की कोशिश भी की जाती है।
रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि सेंट्रल रेलवे के अलग-अलग डिवीजन इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। भुसावल डिवीजन ने सबसे ज्यादा 313 बच्चों की मदद की है। मुंबई डिवीजन में 312, पुणे में 210, जबकि नागपुर और सोलापुर डिवीजन में क्रमशः 154 और 75 बच्चों को बचाया गया है।
सुरक्षाबल के जवानों की देखरेख में इन बच्चों की काउंसलिंग भी की जाती है। ‘चाइल्डलाइन’ जैसी संस्थाओं की भी इसमें अहम भूमिका होती है। सबसे अहम बात यह है कि रेलवे इन खोए हुए बच्चों को वापस अपने माता-पिता तक पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ता।
ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते की कामयाबी रेलवे की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। इस पहल से ना सिर्फ बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि आम यात्रियों को भी यह विश्वास मिलता है कि रेलवे उनके लिए एक सुरक्षित जगह है।