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मैनुअल स्कैवेंजिंग की शिकायत के लिए ईमेल और सोशल मीडिया चैनल बनाने का आदेश – बॉम्बे हाई कोर्ट

मैनुअल स्कैवेंजिंग की शिकायत के लिए ईमेल और सोशल मीडिया चैनल बनाने का आदेश - बॉम्बे हाई कोर्ट
मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी हाथ से मैला ढोने की प्रथा भारत में कानूनी रूप से बंद है। फिर भी कई जगहों पर यह गैरकानूनी काम चुपके-चुपके होता रहता है। इस समस्या से निपटने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। आइए जानते हैं कि कोर्ट ने क्या आदेश दिया है और इससे क्या फायदा होगा।

बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह मैनुअल स्कैवेंजिंग की शिकायत करने के लिए खास ईमेल पते और सोशल मीडिया हैंडल बनाए। यह व्यवस्था हर जिले में बनाई जाएगी। इसका मकसद है कि आम लोग और गैर-सरकारी संगठन (NGO) आसानी से मैनुअल स्कैवेंजिंग की घटनाओं की जानकारी दे सकें।

कोर्ट ने कहा है कि इन ईमेल और सोशल मीडिया चैनलों के नाम जिला और निगरानी समितियों के नाम पर रखे जाएंगे। ये समितियां मैनुअल स्कैवेंजिंग को खत्म करने के लिए बनाई गई हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह काम 9 सितंबर तक पूरा किया जाना चाहिए।

मैनुअल स्कैवेंजिंग की वर्तमान स्थिति

सरकार का दावा है कि महाराष्ट्र के सभी 36 जिलों को मैनुअल स्कैवेंजिंग से मुक्त घोषित कर दिया गया है। लेकिन हकीकत में अभी भी कई जगहों पर यह काम हो रहा है। श्रमिक जनता संघ नाम की एक संस्था ने इस मुद्दे पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका में कहा गया है कि अप्रैल और अगस्त 2024 में सीवर की सफाई के दौरान कई लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी अप्रैल 2024 में हुई कुछ मौतों के बारे में सवाल उठाए थे। इन घटनाओं से साफ है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग अभी भी जारी है।

आगे की कार्रवाई और उम्मीदें

कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया है कि वह मैनुअल स्कैवेंजिंग विरोधी कानून के तहत बनाई गई सभी समितियों के बारे में जानकारी अपनी वेबसाइट पर डाले। इसमें यह भी बताया जाना चाहिए कि इन समितियों ने क्या-क्या काम किए हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि निगरानी समितियों की बैठकें समय पर होनी चाहिए। बैठक का एजेंडा पहले से ही बताया जाना चाहिए और बैठक में क्या-क्या हुआ, इसका पूरा ब्यौरा रखा जाना चाहिए। इससे काम में पारदर्शिता आएगी।

उम्मीद की जा रही है कि इन कदमों से मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने में मदद मिलेगी। लोग आसानी से शिकायत कर पाएंगे और सरकार जल्दी कार्रवाई कर सकेगी। इससे इस गैरकानूनी और अमानवीय प्रथा पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

मैनुअल स्कैवेंजिंग एक गंभीर समस्या है जो मानवीय गरिमा के खिलाफ है। बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला इस समस्या से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब जरूरत है कि सरकार इन निर्देशों का सही से पालन करे और लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझें। अगर हम सब मिलकर कोशिश करें तो मैनुअल स्कैवेंजिंग जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

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