धर्म जनसंख्या रिपोर्ट: हाल ही में जारी की गई सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 65 वर्षों में भारत में हिंदू आबादी में 7.8% की कमी आई है, जबकि मुस्लिम आबादी में 43.15% की वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 1950 और 2015 के बीच की अवधि में भारत में हिंदुओं की जनसंख्या हिस्सेदारी में 7.8% की गिरावट आई है, जबकि मुस्लिमों की हिस्सेदारी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई है। इसी अवधि में ईसाइयों में 5.38%, सिखों में 6.58% और बौद्धों में मामूली वृद्धि देखी गई है, जबकि जैन और पारसियों की संख्या में कमी आई है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे ‘वॉट्सऐप रिपोर्ट’ कहकर इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है। ओवैसी का यह बयान इस रिपोर्ट के आंकड़ों को लेकर चल रही विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक बहसों में एक नया मोड़ लाता है।
इस तरह की रिपोर्टें और उन पर होने वाली चर्चाएं भारतीय समाज में धार्मिक आबादी के बदलावों और उनके सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों को समझने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। यह आंकड़े न केवल जनसंख्या के रुझानों को दर्शाते हैं, बल्कि इनसे जनसंख्या नीति, विकास और समाज के भविष्य की दिशा को लेकर भी विचार-विमर्श होता है।