वीके पांडियन का बड़ा फैसला: ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल (बीजद) की करारी हार की चर्चा जोरों पर है। इस हार के बाद नवीन पटनायक के खास सहयोगी वीके पांडियन ने राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है। पांडियन ने रविवार को ऐलान किया कि वे अब सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे।
वीके पांडियन ने मांगी माफी…
एक्स पर पोस्ट किए गए वीडियो संदेश में पांडियन ने कहा कि राजनीति में उनका इरादा केवल नवीन पटनायक की मदद करना था। अब उन्होंने जानबूझकर सक्रिय राजनीति से हटने का फैसला कर लिया है। उन्होंने कहा, “अगर मैंने इस यात्रा में किसी को ठेस पहुंचाई है तो मुझे खेद है। अगर मेरे कारण बीजद की हार हुई है तो मुझे माफी मांगता हूं। मैं पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और बीजू परिवार से माफी मांगता हूं।”
नवीन बाबू के साथ नहीं दिख रहे थे पांडियन
बीजद की हार के बाद से पांडियन सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए हैं। वे न तो 5 जून को सीएम के साथ राजभवन में इस्तीफा देने गए और न ही नवीन निवास में बीजद नेताओं की बैठक में शामिल हुए। ओडिशा में भाजपा ने 147 सदस्यीय विधानसभा में 78 सीटें जीतकर बीजद के 24 साल के शासन को समाप्त करते हुए सत्ता हासिल की है।
ओडिशा के चुनाव ने सभी को चौंकाया
नवीन पटनायक की पार्टी ने 51 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 14 और सीपीआई (एम) ने एक सीट जीती। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी हुए। बीजद लोकसभा की कोई भी सीट जीतने में विफल रही, जबकि भाजपा ने 20 और कांग्रेस ने एक सीट जीती। चुनावों में हार के बाद अपने सहयोगी पांडियन पर अपनी पहली टिप्पणी में, बीजद सुप्रीमो और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि पार्टी की हार के लिए पांडियन की आलोचना “दुर्भाग्यपूर्ण” थी। पटनायक ने जोर देकर कहा कि पांडियन ने “शानदार काम” किया है।
वीके पांडियन का राजनीति से संन्यास लेना ओडिशा की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। अब देखना होगा कि बीजद और उसके नेता इस हार से कैसे उबरते हैं और आगे की रणनीति क्या होती है।