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बाइडन को क्यों नहीं बदल रहे डेमोक्रेट्स? समझें पार्टी की हिचक

बाइडन, डेमोक्रेट्स, अमेरिका

राजनीति में ऐसे क्षण आते हैं जब सुधार की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह प्रक्रिया मुश्किल और दर्दनाक हो सकती है। वर्तमान में, अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच हालिया बहस के दौरान जो बाइडन का प्रदर्शन कमजोर रहा, जिसके बाद डेमोक्रेटिक पार्टी में बदलाव की चर्चा तेज हो गई है। यह सिर्फ एक बुरा दिन बनाम अच्छे दिन का सवाल नहीं है, बल्कि अगले चार वर्षों की बात है, जो चुनौतियों से भरे नजर आ रहे हैं।

यूरोप की चिंता

दुनिया में वर्तमान में दो युद्ध चल रहे हैं, और वैश्विक स्थिति अस्थिर है। अमेरिका में भी राजनीतिक ध्रुवीकरण चरम पर है। 2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। डेमोक्रेट्स का कहना है कि लोकतंत्र खतरे में है। यूरोप विशेष रूप से चिंतित है कि अगर डॉनल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने, तो वह NATO और अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर क्या कदम उठाएंगे।

ट्रंप की मदद

डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए यह समय दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ने का है। एक जोशीला उम्मीदवार अमेरिका के चुनाव को पूरी तरह से बदल सकता है, खासकर जब ट्रंप को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण मदद मिल रही है। कोर्ट के एक फैसले के अनुसार, ट्रंप पर 2020 के चुनाव परिणाम को बदलने की कोशिश का मुकदमा चुनाव से पहले नहीं चलेगा। इसका मतलब है कि चुनाव से पहले यह मामला कोर्ट में नहीं आएगा।

सर्वेक्षण और बाइडन

सर्वेक्षण बताते हैं कि अमेरिकी मतदाता बाइडन को दूसरे कार्यकाल के लिए बहुत बूढ़ा मानते हैं। पिछले साल अगस्त में हुए सर्वे में 77% ने ऐसा कहा था, जबकि इस साल फरवरी में एक सर्वेक्षण में ऐसा मानने वालों का आंकड़ा 86% पहुंच गया। लोग वह देख रहे हैं, जो बाइडन और उनके रणनीतिकार नहीं देख पा रहे।

सच्चाई से इनकार

डेमोक्रेटिक पार्टी ने इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया, विशेष रूप से मध्यावधि चुनावों में अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन के बाद। पार्टी के प्रवक्ताओं ने कहा कि बाइडन की लड़खड़ाने वाली तस्वीरें राइट विंग द्वारा तैयार की गई हैं। मुख्यधारा का मीडिया भी इस खेल में साथ रहा।

युवाओं की निराशा

अमेरिकी उपन्यासकार Sinclair Lewis ने एक बार कहा था, “बुढ़ापा तो बुढ़ापा ही होता है।” बाइडन को वोटर्स के दिल तक पहुंचना होगा, लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि इस्राइल के प्रति बाइडन सरकार के समर्थन से अमेरिकी युवा नाराज और निराश हैं।

नेताओं की चुप्पी

बाइडन के परिवार और सलाहकारों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या पार्टी की चुनावी संभावनाओं को खतरे में डालना सही है। अंधभक्ति स्मार्ट पॉलिटिक्स नहीं है और न ही जीतने वाली रणनीति। बाइडन न केवल अपनी, बल्कि पार्टी की जीत को भी खतरे में डाल रहे हैं। इसमें कोई अचरज नहीं कि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार डिबेट के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं या बहुत कम बोल रहे हैं।

मतदाताओं की उम्मीदें

डेमोक्रेट्स उम्मीद कर रहे हैं कि स्वतंत्र मतदाता और ट्रंप को राष्ट्रपति पद से दूर रखने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी को समर्थन देंगे। लेकिन, अगर मतदाता यह महसूस करें कि बाइडन के रूप में उन पर एक विकल्प थोपने की कोशिश की जा रही है, तो वे अपना वोट विभाजित कर सकते हैं।

पार्टी के पास विकल्प

डेमोक्रेट्स के पास अच्छे उम्मीदवारों की कमी नहीं है। उनके पास अभी भी चुनाव में कूदने और कैंपेनिंग के लिए पर्याप्त समय है। हां, यह जोखिम भरा होगा, लेकिन क्या यह मौजूदा परिस्थितियों से ज्यादा जोखिम भरा होगा?

पिछले अनुभवों से सीख

इतनी बहस के बाद भी उम्मीद यही है कि सब कुछ बेहतर होने का दिखावा किया जाएगा। 2016 में बराक ओबामा ने बाइडन से पीछे हटने को कहा, क्योंकि तब हिलेरी क्लिंटन की बारी थी। पार्टी को तब भारी असफलता मिली थी। ध्यान रहे, बाइडन के पास 2016 में ट्रंप को हराने का बेहतरीन मौका था। अगर ऐसा हुआ होता, तो इस समय वह अपने दूसरे कार्यकाल का अंत कर रहे होते। आठ साल पहले वह ज्यादा युवा और जोशीले थे, लेकिन उनकी पार्टी ने राजनीति को गलत समझा।

बाइडन के वर्तमान प्रदर्शन और पार्टी की हिचक को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि डेमोक्रेट्स को अपने विकल्पों पर पुनर्विचार करना चाहिए। बाइडन की उम्र और उनके प्रदर्शन पर बढ़ते सवालों के बीच, पार्टी के लिए एक नया उम्मीदवार चुनना शायद समझदारी भरा कदम हो सकता है। पार्टी के पास समय और संसाधन हैं, लेकिन उन्हें सही निर्णय लेना होगा ताकि आगामी चुनाव में सफलता सुनिश्चित की जा सके।

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