Maharashtra News: टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में निजी क्षेत्र के 87% शिक्षक अयोग्य हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन शिक्षकों के पास डिग्री या प्रशिक्षण नहीं है जो उन्हें बुनियादी शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक है.
रिपोर्ट के अनुसार, अयोग्य शिक्षकों की संख्या सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में है, जहां 92% शिक्षक अयोग्य हैं. शहरी क्षेत्रों में, 84% शिक्षक अयोग्य हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति का बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. अयोग्य शिक्षक बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने में असमर्थ हैं, जिससे बच्चों की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है.
रिपोर्ट में निजी स्कूलों पर भी सवाल उठाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी स्कूल अयोग्य शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं क्योंकि वे उन्हें कम वेतन पर नियुक्त कर सकते हैं. (Maharashtra News)
रिपोर्ट में निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:
- राज्य सरकार को निजी स्कूलों पर अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए.
- राज्य सरकार को अयोग्य शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए कार्यक्रम शुरू करने चाहिए.
- निजी स्कूलों को अयोग्य शिक्षकों को नियुक्त करने से रोकने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए. (Maharashtra News)
रिपोर्ट की निष्कर्ष
TISS की रिपोर्ट महाराष्ट्र में निजी शिक्षा क्षेत्र में एक गंभीर समस्या का संकेत देती है. अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति बच्चों की शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है. राज्य सरकार को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और इसे दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए. (Maharashtra News)