Maharashtra News: मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने कहा है कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मराठा आरक्षण में देरी पर महाराष्ट्र सरकार से सवाल करना चाहिए था. जारांगे ने कहा कि पवार ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, जबकि उन्हें इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाना चाहिए था.
जारांगे ने कहा कि, “पवार एक बड़े नेता हैं और उनके पास सरकार में अच्छी पहुंच है. पवार को मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर सरकार से लगातार सवाल करना चाहिए था. इससे सरकार पर दबाव बढ़ता और मराठा आरक्षण जल्द से जल्द बहाल हो जाता.”
जारांगे ने बात करते हुए आगे कहा कि, “पवार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चुप्पी साध रखकर मराठा समुदाय को धोखा दिया है. उन्होंने कहा कि पवार को इस मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए और सरकार को मराठा आरक्षण देने के लिए मजबूर करना चाहिए. यही नहीं, जारांगे पाटिल ने ये भी आरोप लगाया था कि, अजित पवार आरक्षण के मुद्दे के खिलाफ बोल रहे हैं.
गौरतलब है कि, मनोज जारांगे ने 20 जनवरी 2024 को अपने हजारों समर्थकों के साथ जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव से मुंबई तक का मार्च शुरू किया था. उनका उद्देश्य था कि राज्य सरकार द्वारा मराठा समुदाय को आरक्षण देने का आदेश जारी करने तक वो मुंबई में आमरण अनशन पर बैठें. उन्होंने मांग की थी कि मराठों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए, ताकि वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ उठा सकें.
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जारांगे ने कहा कि मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा है. इस मुद्दे पर सरकार को जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए और मराठा आरक्षण को बहाल करना चाहिए.
जानकारी हो कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण को 2018 में बहाल किया था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था. इसके बाद से मराठा समुदाय मराठा आरक्षण को बहाल करने की मांग कर रहा है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 22 जनवरी 2024 को कहा था कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए 23 जनवरी से एक सर्वेक्षण करेगा. (Maharashtra News)
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