Emergence of New Politics in Marathwada: मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जारंगे-पाटिल (Manoj Jarange-Patil) ने आगामी विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लिया है, जिससे महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi – MVA) के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर खुल गया है।
कांग्रेस नेता धीरज देशमुख का कहना है कि इस निर्णय से मराठवाड़ा क्षेत्र की 46 सीटों पर एमवीए को लाभ होगा। जारंगे-पाटिल का यह आंदोलन न केवल मराठा समुदाय बल्कि मराठवाड़ा के सभी कृषक समुदाय (Agricultural Community of Marathwada) को प्रभावित कर रहा है, जो एमवीए के लिए वोटिंग में सहायक सिद्ध हो सकता है।
मराठवाड़ा में जारंगे-पाटिल आंदोलन (Jarange-Patil Movement in Marathwada) ने किसानों के लिए आरक्षण के मुद्दे को एक नयी दिशा दी है। इसी के चलते, जारंगे-पाटिल का यह फैसला एमवीए के लिए चुनावी समीकरण को बदलने में सहायक बन सकता है। किसानों के समर्थन से जुड़े इस आंदोलन का प्रभाव अब स्थानीय राजनीति पर गहरा असर डालने की संभावना है।
मराठवाड़ा में जारंगे-पाटिल आंदोलन का बढ़ता प्रभाव
जारंगे-पाटिल के आंदोलन का मुख्य उद्देश्य मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करवाना है, ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ (Reservation Benefits) मिल सके। इस आंदोलन के दौरान किसानों ने अपनी समस्याओं को खुलकर सामने रखा, जिसमें सूखे का संकट, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर सोयाबीन की बिक्री, और रोजगार के अभाव जैसे मुद्दे शामिल हैं। यह आंदोलन मराठवाड़ा क्षेत्र के सभी कृषक समुदायों के लिए कृषि संकट (Agrarian Crisis) का समाधान बनने की ओर अग्रसर है।
धीरज देशमुख ने कहा, “यह आंदोलन एक जाति विशेष का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव राज्य के सभी कृषक समुदायों पर पड़ता है।” उन्होंने कहा कि मराठवाड़ा के किसान हर चार साल में सूखे की चपेट में आते हैं, जिससे उनकी खेती की निर्भरता और संकट बढ़ता है। इस क्षेत्र में एमवीए के लिए जारंगे-पाटिल का निर्णय लाभदायक हो सकता है, क्योंकि अब मराठा समुदाय और अन्य कृषक जातियों का समर्थन एमवीए को मिलने की संभावना बढ़ी है।
चुनाव में एमवीए के लिए सकारात्मक स्थिति
कांग्रेस नेता धीरज देशमुख का मानना है कि मराठवाड़ा की राजनीति में नयी राजनीति का उदय (Emergence of New Politics) हो रहा है। जारंगे-पाटिल के इस निर्णय से एमवीए को राजनीतिक बढ़त मिल सकती है, जो मराठवाड़ा की 46 सीटों पर स्पष्ट तौर पर नजर आएगी। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे के आंदोलन की तरह ही जारंगे-पाटिल का आंदोलन भी लोगों की आवाज़ को एक सशक्त मंच दे रहा है। मराठवाड़ा में इसका प्रभाव इसी कारण से अधिक देखा जा सकता है, और एमवीए के उम्मीदवारों को इससे सीधा लाभ होगा।
मराठा आरक्षण आंदोलन का उद्देश्य मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल करना है ताकि उन्हें शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके। मराठवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्र में यह मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वहां की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा है। धीरज देशमुख ने कहा, “हम जारंगे-पाटिल के इस कदम का स्वागत करते हैं। यह आंदोलन और इससे जुड़े मुद्दे मराठवाड़ा के 46 विधानसभा क्षेत्रों में मुख्य चुनावी मुद्दे बन चुके हैं।”
जाति-आधारित राजनीति से ऊपर उठने की कोशिश
धीरज देशमुख ने कहा कि जारंगे-पाटिल के आंदोलन को जाति तक सीमित करना उचित नहीं होगा। यह आंदोलन राज्य के सभी किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। पत्रकारों के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी मुद्दों को जाति के चश्मे से देखना सही नहीं है। उनके अनुसार, इस आंदोलन में सभी जातियों का समर्थन शामिल है, विशेषकर वे जो कृषि पर निर्भर हैं।
देशमुख ने कहा कि कांग्रेस ने सचिन पायलट को मराठवाड़ा का प्रभारी बनाया है और अब वे स्थानीय मुद्दों (Local Issues) पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मराठवाड़ा में कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत के लिए यह एक बड़ा अवसर है। उन्होंने कहा कि जारंगे-पाटिल के आंदोलन (Jarange-Patil’s Movement) का प्रभाव मराठवाड़ा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों पर गहराई से पड़ा है और इसके चलते मराठवाड़ा के लोग जाति के बजाय अपने मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं। एमवीए के लिए जारंगे-पाटिल का यह निर्णय एक सकारात्मक दिशा में ले जाने वाला कदम साबित हो सकता है।
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