Mumbai Fire Incidents: पिछले दो हफ्तों में मुंबई शहर एक अनचाही मुसीबत से जूझ रहा है। आग की घटनाएं (Fire Incidents) तेजी से बढ़ रही हैं, और शहर में सात बड़ी आग की घटनाएं सामने आई हैं। मॉल्स, ऊंची इमारतें, सरकारी इमारतें और आवासीय परिसर—हर जगह आग ने तबाही मचाई है। इन घटनाओं में तीन लोगों की जान गई, और कई लोग आर्थिक रूप से बर्बाद हो गए। गर्मी का मौसम, पुरानी बिजली की वायरिंग और लापरवाही भरी रखरखाव की कमी ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है। मुंबई में आग की सुरक्षा (Mumbai Fire Safety) अब हर नागरिक के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। आइए, इस समस्या की जड़ को समझते हैं और जानते हैं कि इसे कैसे रोका जा सकता है।
गर्मी और एयर कंडीशनर का दबाव
मुंबई में गर्मी का मौसम हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। इस साल तापमान ने नई ऊंचाइयों को छुआ है, और इसके साथ ही एयर कंडीशनर (एसी) का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। मुंबई फायर ब्रिगेड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आग की घटनाएं (Fire Incidents) बढ़ने का एक बड़ा कारण गर्मी के साथ एसी का लगातार इस्तेमाल है। पुरानी इमारतों में बिजली की वायरिंग पुरानी होती है, जो इस बढ़े हुए दबाव को झेल नहीं पाती।
जब एसी बिना रुके चलते हैं और उनका रखरखाव नहीं होता, तो उनमें धूल जमा हो जाती है। यह धूल गर्मी के साथ घर्षण पैदा करती है, जिससे शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ जाता है। गर्मी का मौसम इस समस्या को और गंभीर बनाता है, क्योंकि बाहर का तापमान और एसी की आंतरिक गर्मी मिलकर आग को भड़काने का काम करते हैं। मुंबई जैसे तटीय शहर में, जहां अस्पतालों, होटलों और कई घरों में एसी दिन-रात चलते हैं, यह खतरा और भी बड़ा है।
आंकड़े बता रहे हैं खतरे की गहराई
मुंबई फायर ब्रिगेड के आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को और साफ करते हैं। साल 2024 में मुंबई में आग की सुरक्षा (Mumbai Fire Safety) को लेकर 5,301 आग की घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2023 के 5,074 मामलों से 5% ज्यादा हैं। गर्मी के महीनों में यह आंकड़ा और बढ़ गया—अप्रैल में 484, मार्च में 473 और मई में 468 घटनाएं हुईं। इनमें से ज्यादातर आग की घटनाएं बिजली से जुड़ी थीं।
एक अनुभवी फायर फाइटर ने बताया कि लगभग 70% आग की घटनाएं बिजली की खराबी से होती हैं। अगर इमारतें अपनी बिजली व्यवस्था को दुरुस्त रखें, तो इनमें से ज्यादातर हादसों को रोका जा सकता है। हालांकि, यह समस्या सिर्फ गर्मी तक सीमित नहीं है। साल भर बिजली से जुड़ी समस्याएं आग का कारण बनती हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
शहर में आग की घटनाओं का एक और बड़ा कारण है फायर ऑडिट की कमी। शहरी योजनाकार विवेक पाई के अनुसार, हाल की ज्यादातर आग की घटनाएं रात के समय हुईं और इनका कारण बिजली की खराबी थी। इन मामलों में एक और समानता थी—आग के रास्ते में रुकावटें और फायर ऑडिट की कमी। मुंबई में आग की सुरक्षा (Mumbai Fire Safety) के लिए नियम तो हैं, लेकिन उनकी पालना नहीं हो रही।
महाराष्ट्र फायर प्रिवेंशन एंड लाइफ सेफ्टी मेजर्स एक्ट, 2006 के तहत, हर इमारत के मालिक या निवासियों को हर छह महीने में फायर ऑडिट कराना जरूरी है। यह ऑडिट इमारत के अग्निशमन उपकरणों और सुरक्षा उपायों की जांच करता है। लेकिन कई इमारतें, खासकर पुरानी इमारतें और छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठान, इस नियम का पालन नहीं करते। मुंबई फायर ब्रिगेड की मंजूरी के बाद भी, कई इमारतें नियमित ऑडिट नहीं करातीं, जिसके कारण आग की स्थिति में उनके अग्निशमन उपकरण काम नहीं करते।
मुंबई की कई इमारतें 25-30 साल पुरानी हैं, और उनकी बिजली की वायरिंग भी उतनी ही पुरानी है। ऐसी वायरिंग आज के दौर के बिजली के दबाव को झेलने के लिए नहीं बनी थी। जब एसी, रेफ्रिजरेटर और अन्य उपकरण लगातार चलते हैं, तो यह पुरानी वायरिंग गर्म होकर शॉर्ट सर्किट का कारण बनती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी इमारतों में वायरिंग को बदलना जरूरी है, ताकि आग का खतरा कम हो।
इसके अलावा, कई इमारतों में अग्निशमन उपकरण जैसे अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर और फायर हाइड्रेंट ठीक हालत में नहीं होते। जब आग लगती है, तो ये उपकरण काम नहीं करते, और नुकसान कई गुना बढ़ जाता है। यह लापरवाही न केवल इमारत के मालिकों की जिम्मेदारी है, बल्कि उन निवासियों की भी है जो नियमित रखरखाव को नजरअंदाज करते हैं।
हाल की आग की घटनाओं में एक और चिंताजनक बात सामने आई है—ये ज्यादातर रात में हुईं। रात के समय लोग सो रहे होते हैं, और आग का पता देर से चलता है। इसके अलावा, कई इमारतों में आग से बचने के रास्ते जैसे सीढ़ियां और निकास द्वार अवरुद्ध होते हैं। यह स्थिति आग की स्थिति में बचाव को और मुश्किल बना देती है।
विवेक पाई ने बताया कि कई बार लोग इमारत के अग्निशमन उपकरणों और निकास मार्गों से परिचित नहीं होते। अगर नियमित फायर ड्रिल हों, तो लोग आग की स्थिति में सही कदम उठा सकते हैं। लेकिन ज्यादातर इमारतों में फायर ड्रिल सालों तक नहीं होती, जिसके कारण लोग घबराहट में गलत फैसले लेते हैं।
मुंबई फायर ब्रिगेड इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए लगातार काम कर रही है। हाल ही में, उन्होंने गर्मी के मौसम में आग की घटनाएं (Fire Incidents) रोकने के लिए नई सलाह और दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें बिजली के उपकरणों का सही इस्तेमाल, नियमित रखरखाव और आपातकालीन निकास मार्गों को खाली रखने की सलाह शामिल है।
इसके अलावा, मुंबई फायर ब्रिगेड अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) में अपनी क्षमताओं को और मजबूत करने की योजना बना रही है। इसके लिए 261.72 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इस बजट से सात नए फायर स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें से दो मुंबई तटीय सड़क परियोजना के पास होंगे। साथ ही, दो उन्नत अग्निशमन रोबोट, मिनी वाटर टेंडर, हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म और ड्रोन जैसे नए उपकरण खरीदे जाएंगे। ये कदम मुंबई को आग के खतरों से बेहतर तरीके से निपटने में मदद करेंगे।
आग की घटनाओं को रोकने में नागरिकों की भी बड़ी भूमिका है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लोग अपने घरों और इमारतों में छोटे-छोटे कदम उठाएं, तो बड़ा नुकसान टाला जा सकता है। उदाहरण के लिए, एसी को हर कुछ घंटों में बंद करके उसका दबाव कम किया जा सकता है। साथ ही, हर तीन महीने में एसी का रखरखाव जरूरी है, ताकि धूल और गर्मी से होने वाला खतरा कम हो।
इमारतों में सीढ़ियों और निकास मार्गों को हमेशा खाली रखना चाहिए, ताकि आग की स्थिति में लोग आसानी से बाहर निकल सकें। इसके अलावा, हर इमारत में साल में कम से कम एक बार फायर ड्रिल होनी चाहिए, ताकि लोग आपात स्थिति में सही कदम उठा सकें। ये छोटे कदम न केवल जान बचा सकते हैं, बल्कि आर्थिक नुकसान को भी कम कर सकते हैं।
मुंबई जैसे व्यस्त और घनी आबादी वाले शहर में मुंबई में आग की सुरक्षा (Mumbai Fire Safety) हर किसी की जिम्मेदारी है। इमारतों के मालिक, निवासी, व्यापारी और सरकारी अधिकारी—सभी को मिलकर इस खतरे से निपटना होगा। गर्मी और पुरानी वायरिंग के कारण बढ़ रही आग की घटनाएं चेतावनी हैं कि हमें अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा।
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