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Maharashtra Solar Revolution: महाराष्ट्र की सौर ऊर्जा क्रांति, दिसंबर 2025 तक सभी सरकारी कार्यालय सौर ऊर्जा से संचालित

Maharashtra Solar Revolution: महाराष्ट्र की सौर ऊर्जा क्रांति, दिसंबर 2025 तक सभी सरकारी कार्यालय सौर ऊर्जा से संचालित

Maharashtra Solar Revolution: महाराष्ट्र, जो अपनी प्रगतिशील सोच और विकास के लिए जाना जाता है, अब पर्यावरण के क्षेत्र में भी एक नया इतिहास लिखने की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में घोषणा की कि दिसंबर 2025 तक राज्य के सभी सरकारी कार्यालय पूरी तरह से सौर ऊर्जा (Solar Energy) पर चलेंगे। यह घोषणा महाराष्ट्र ऊर्जा विकास प्राधिकरण (MahaUrja) के नए प्रशासकीय भवन के उद्घाटन के दौरान की गई। यह भवन पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित है और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण का एक शानदार उदाहरण है। इस लेख में हम महाराष्ट्र की सौर ऊर्जा क्रांति (Maharashtra Solar Revolution) और इसके भविष्य के प्रभावों को समझेंगे।

महाराष्ट्र की सड़कों से लेकर गांवों तक, बिजली की बढ़ती मांग और पर्यावरण संरक्षण की चुनौती एक बड़ी जिम्मेदारी बन गई है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए एक स्पष्ट रोडमैप पेश किया है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र न केवल सरकारी कार्यालयों को सौर ऊर्जा से जोड़ेगा, बल्कि आम लोगों के घरों तक भी इस स्वच्छ ऊर्जा को पहुंचाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना को राज्य में प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत पहले चरण में 100 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाएगा। दूसरे चरण में यह सुविधा 300 यूनिट तक खपत करने वालों तक पहुंचेगी। इसका लक्ष्य है कि इन घरों का बिजली बिल शून्य हो जाए। यह कदम न केवल लोगों की जेब पर बोझ कम करेगा, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखेगा।

महाराष्ट्र ने पिछले दो वर्षों में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य ने 5 लाख से अधिक सौर कृषि पंप स्थापित किए हैं, जो भारत में किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि महाराष्ट्र किसानों के लिए स्वच्छ और किफायती ऊर्जा उपलब्ध कराने में अग्रणी है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना के तहत 2026 तक 16,000 मेगावाट की क्षमता के साथ कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाएगा। यह परियोजना एशिया की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता को बदल देगी।

पिछले दो दशकों में बिजली की कीमतें हर साल औसतन 9 प्रतिशत बढ़ी हैं। लेकिन मुख्यमंत्री फडणवीस ने वादा किया है कि 2025 से 2030 तक हर साल बिजली की कीमतों को कम करने का प्रयास किया जाएगा। उनका लक्ष्य है कि दिसंबर 2026 तक राज्य की पूरी कृषि बिजली मांग सौर ऊर्जा (Solar Energy) से पूरी हो। यह एक ऐसी क्रांति होगी, जो न केवल महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यावरण पर कार्बन उत्सर्जन का बोझ भी कम करेगी।

महाराष्ट्र की महत्वाकांक्षा यहीं नहीं रुकती। 2030 तक राज्य अपनी 52 प्रतिशत बिजली नवीकरणीय स्रोतों जैसे सौर, पवन और हाइड्रोजन से उत्पादित करने का लक्ष्य रखता है। इसके लिए एक रूसी सरकारी कंपनी के साथ थोरियम-आधारित ऊर्जा उत्पादन तकनीक विकसित करने का समझौता भी किया गया है। यह तकनीक भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को और बढ़ाएगी। थोरियम आधारित ऊर्जा न केवल सुरक्षित है, बल्कि यह परमाणु ऊर्जा का एक टिकाऊ विकल्प भी हो सकता है।

महाऊर्जा का नया प्रशासकीय भवनទपথ भवन औरंग में एक जीवंत उदाहरण है। यह भवन सुपर ECBC और नेट जीरो एनर्जी मानकों के अनुसार बनाया गया है। इसमें पोरोथर्म ब्लॉक, डबल-ग्लेज्ड खिड़कियां, सिरेमिक मेश, रेडिएंट कूलिंग सिस्टम, अर्थ टनल ट्यूब सिस्टम, वेंटुरी प्रभाव वेंटिलेशन, दो चरणों वाला वाष्पीकरण कूलिंग और सौर ट्यूब जैसे नवाचार शामिल हैं। 290 किलोवाट का ग्रिड-कनेक्टेड सौर ऊर्जा संयंत्र इस भवन को पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा से संचालित करता है। यह भवन न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक भी है।

महाराष्ट्र की सौर ऊर्जा क्रांति (Maharashtra Solar Revolution) का यह कदम नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। यह दर्शाता है कि परंपराओं और आधुनिकता का संतुलन संभव है। सरकारी कार्यालयों से लेकर गांवों के खेतों तक, सौर ऊर्जा का विस्तार महाराष्ट्र को एक हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जा रहा है।

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