महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने एक दिलचस्प बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता, तो वे पूरी एनसीपी को साथ लाते। यह बयान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की जीवनी के लोकार्पण के मौके पर दिया गया। पवार के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी है।
अजित पवार का दिलचस्प बयान: ‘मुझे सीएम बनाते तो पूरी पार्टी लाता!’
महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने एक ऐसा बयान दिया, जिसने सबका ध्यान खींच लिया। यह मौका था मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की जीवनी ‘योध्दा कर्मयोगी – एकनाथ संभाजी शिंदे’ के लोकार्पण का।
अजित पवार ने मजाकिया अंदाज में कहा, “अगर बीजेपी और शिवसेना मुझे मुख्यमंत्री बनाते, तो मैं पूरी एनसीपी को साथ लेकर आ जाता।” उनके इस बयान से पूरी सभा में हंसी का माहौल बन गया। पवार ने आगे कहा, “जब आपने (बीजेपी) एकनाथ शिंदे को कई विधायक लाने के लिए कहा और फिर मुख्यमंत्री बना दिया, तो मुझसे क्यों नहीं पूछा? मैं तो पूरी पार्टी ही ले आता।”
अजित पवार ने अपने लंबे राजनीतिक अनुभव का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वे 1990 में पहली बार विधायक बने थे। इसके मुकाबले, देवेंद्र फडणवीस 1999 में और एकनाथ शिंदे 2004 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। पवार ने यह भी याद दिलाया कि फडणवीस ने 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था। इसके अलावा, 2019 में उन्होंने 72 घंटे के लिए फडणवीस के साथ मिलकर एक छोटी सी सरकार भी बनाई थी।
एकनाथ शिंदे की तारीफ करते हुए अजित पवार ने कहा कि उन्होंने कई मुख्यमंत्री देखे हैं, लेकिन शिंदे जैसा हमेशा लोगों से घिरा रहने वाला कोई नहीं देखा। यह बयान शिंदे की लोकप्रियता को दर्शाता है।
इस बीच, विपक्ष के नेता विजय वडेटिवर ने अजित पवार के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पवार को सिर्फ सत्ता का लालच है और उनके लिए कुर्सी ही सब कुछ है। वडेटिवर ने बीजेपी पर भी आरोप लगाया कि वह दूसरी पार्टियों के विधायकों को तोड़कर सरकार बना रही है।
वडेटिवर ने एक और महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 20 अगस्त को राजीव गांधी की जयंती के मौके पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे मुंबई आएंगे। यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा कार्यक्रम होगा।
अजित पवार का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इसका क्या असर होता है। क्या अजित पवार की यह टिप्पणी सिर्फ मजाक थी या इसमें कोई गंभीर संदेश छिपा था? यह सवाल अब सबके जहन में है।
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